आज की दुनिया में आदमी की हालत और परिस्थिति का कारण सियासत और राजनीति के खेल हैं, जिसमें वह विवशता स... आज की दुनिया में आदमी की हालत और परिस्थिति का कारण सियासत और राजनीति के खेल हैं...
एकाएक बस आँख खुली, और होश आया तभी... हाँथों में किताब ग़ालिब की, और चेहरे पे बेबसी... एकाएक बस आँख खुली, और होश आया तभी... हाँथों में किताब ग़ालिब की, और चेहरे पे बे...
आपको भी, आपको भी, सभी को आज़ादी की शुभकामनायें। आपको भी, आपको भी, सभी को आज़ादी की शुभकामनायें।
कुछ भी तो नहीं शायद टुकड़े में बंटे आदमी की नियति यही है। कुछ भी तो नहीं शायद टुकड़े में बंटे आदमी की नियति यही है।
यह दास्तान है मेरे जैसे एक आम आदमी की अधूरी डायरी की अधूरी कहानी। यह दास्तान है मेरे जैसे एक आम आदमी की अधूरी डायरी की अधूरी कहानी।
आम आदमी 3: ससुरे मिलके पैसा बना रहें हैं..! आम आदमी 3: ससुरे मिलके पैसा बना रहें हैं..!